हालांकि नीतीश के पिछले एनडीए राज मेें आररिया सीट पर 2004 और 2009 की सीटों पर भाजपा ही जीती थी। लेकिन जब 2014 में भाजपा से अलग हुए तो तस्लीमुद्दीन भारी मतों से जीते थे। आरजेडी उम्मीदवार सरफराज आलस ओबीसी, दलित-मुसलिम-यादव समीकरण से अपनी जीत के प्रति आश्वस्त है। जबकि भाजपा के प्रत्याशी प्रदीपकुमार सिंह को पिछले चुनावों में भाजपा और जेडीयू के मिले वोटों के औसत से अपनी जीत का तस मान रहे हैं।
बिहार में पूर्व मुख्यमंत्री और राजद सुप्रीमो लालू यादव फिलहाल जेल में है और राज्य में पूर्व मुख्यमंत्री रहे तेजस्वी यादव उनकी राजनीतिक विरासत संभाल रहे हैं। यह उप चुनाव जहां मुख्यमंत्री सुशासन बाबू के लिए चुनौती है वहीं तेजस्वी के लिए राजनीति मे अपनी कामयाबी को मजबूती देने के लिहाज एक सुनहरा मौका है। उधर एनडीए के केंद्रीय मंत्रिमंडल से तेलुगु देशम का स्पेशल पैकेज न मिलने से अलग होने के मुद्दे ने भी बिहार में स्पेशल पैकेज की पुरानी मांग को फिदर ताजा कर दिया है।