‘तहलका’ सूत्रों के मुताबिक, कोलकाता हवाई अड्डे से सिर्फ़ प्रीपेड टैक्सी और ओला-उबर (की टैक्सी) ही यात्रियों को ले जा सकती हैं। दूसरों को हवाई अड्डा परिसर में प्रवेश करने की भी अनुमति नहीं है। लेकिन कोलकाता में कई अवैध संचालक हैं, जो हवाई अड्डे से टैक्सी चला रहे हैं और पुलिस को कथित रूप से पैसे देकर यात्रियों को उठा रहे हैं। यही बात दिग्विजय ने भी हमें बतायी, जब हमने उससे एक पखवाड़े के भीतर दिल्ली से कोलकाता आने वाले अपने यात्री को पिक करने के लिए कहा।
रिपोर्टर : 15 दिन में आपको क्लाइंट (ग्राहक) दूँगा। कोलकाता के, दिल्ली से एयरपोर्ट से। लेकिन आप ये देख लेना कभी कोलकाता पुलिस आपको एयरपोर्ट पर एंट्री न दे, कोलकाता में?
दिग्विजय : नहीं, प्रशासन से लेकर सब मेरा अंडरस्टैंडिंग (साँठगाँठ) है। मैं समझ लूँगा।
रिपोर्टर : ऐसा न हो क्लाइंट यहाँ पर आये और गाड़ी न मिले?
दिग्विजय : हमारी गाड़ी, जिस गेट पर बोलिएगा, उस गेट पर लगवा देंगे। एक भी गाड़ी ऐसी नहीं है, मैं डिसीजन (निर्णय) लेता हूँ। सारा थाना-पाना हम देखता हूँ। टेंशन मत लीजिए।
रिपोर्टर : अच्छी सेटिंग है पुलिस-वुलिस में?
दिग्विजय ने अब ख़ुलासा किया कि कोलकाता हवाई अड्डे पर सभी यूनियनों के अपने-अपने निश्चित द्वार हैं, जहाँ से वे अपनी-अपनी अवैध टैक्सी चलाते हैं। पार्टी एक ही है।
रिपोर्टर : यहाँ आउटलाइन में कितना गाडिय़ाँ है, एयरपोर्ट पर; टोटल में?
दिग्विजय : हर यूनियन का फिक्स अलग-अलग है। हर गेट की यूनियन अलग-अलग है। पार्टी एक ही है।
रविदास, जिसने हमें सोनागाछी में सेक्स के लिए महिलाएँ उपलब्ध कराने का वादा किया था, उसने ख़ुलासा किया कि वह कोलकाता हवाई अड्डे से एक अवैध टैक्सी भी चला रहा है। व्यापारी बनकर हमने रविदास से पूछा कि क्या वह कोलकाता हवाई अड्डे से टैक्सी चलाने में हमारी मदद कर सकता है? इस पर रविदास ने हाँ में जवाब दिया और हमें यह अर्थशास्त्र समझाया कि कितना पैसा हम रोज़ाना अवैध टैक्सी कारोबार से कमाएँगे।
रिपोर्टर : जो गाड़ी लगेगी हमारी, उसका क्या रेट होगा?
रविदास : क्या रेट होगा बोले तो?
रिपोर्टर : आप हमें कितना दोगे?
रविदास : प्राइवेट गाड़ी 500, कमर्शियल गाड़ी 700 रुपये।
रिपोर्टर : प्राइवेट गाड़ी अगर हम लगाते हैं, तो 500 रुपये डेली (रोज़)?
रविदास : 500 रुपये डेली।
रिपोर्टर : और कमर्शियल लगाते हैं, तो?
रविदास : 700 रुपये।
रिपोर्टर : 700 रुपये डेली…। यार प्राइवेट में कम दे रहे हो आप?
रविदास : प्राइवेट में जो गाड़ी रास्ते में पुलिस पकड़े, वो हम
देखेंगे न!
अब रविदास ने ख़ुलासा किया कि कैसे वह पुलिस की मदद से कोलकाता हवाई अड्डे से अवैध टैक्सी चला रहा है।
रिपोर्टर : ऐसा न हो कोलकाता एयरपोर्ट पर हमारी गाड़ी की एंट्री न हो?
रविदास : क्यों एंट्री नहीं होगा?
रिपोर्टर : कहीं पुलिस वाले मना कर दे?
रविदास : हम लोग हैं न।
रिपोर्टर : पुलिस में सेटिंग है?
रविदास : हम लोगों का पुलिस से सेटिंग है। पार्किंग की सेटिंग है। लेकिन आपको (उनको) थोड़ी पता चलेगा आपकी गाड़ी है। हम गाड़ी चलाएगा, तो हमारी गाड़ी है।
अब रविदास ने समझाया कि वह कोलकाता हवाई अड्डे से अपनी टैक्सियों को अवैध रूप से चलाने के लिए पुलिस को कितना पैसा दे रहा है।
रिपोर्टर : अच्छा, जो पुलिस को पैसा देना होगा, वो हमें तो नहीं देना होगा?
रविदास : पुलिस को काट के एक गाड़ी पर 100 रुपये करके।
रिपोर्टर : एक ही तो पुलिस है, ट्रैफिक पुलिस?
रविदास : जो जितना गाड़ी चलता है। एक गाड़ी का 100 रुपये देता है।
रिपोर्टर : डेली?
रविदास : डेली।
रिपोर्टर : पुलिस को?
रविदास : ट्रैफिक अलग है; एयरपोर्ट का पुलिस अलग है।
रिपोर्टर : तो डेली कितना लगता है तुम्हारा?
रविदास : डेली 200 रुपये।
रविदास ने ख़ुलासा किया कि वे (सभी टैक्सी चालक) कोलकाता हवाई अड्डे से शिफ्ट में अवैध टैक्सी चला रहे हैं। साथ ही सभी ठेकेदारों ने हवाई अड्डे के गेट आपस में बाँट लिये हैं। और वे एक-दूसरे की सीमा का अतिक्रमण नहीं करते हैं।
रिपोर्टर : तो, 120 गाडिय़ों का तो बहुत हो गया डेली का? कितना होगा 120 गाडिय़ों का?
रविदास : तीन शिफ्ट चलता है। जैसे सोचिए, हम चलता है, सुबह 2:00 बजे से 3:00 बजे तक चलता है। ऐसे शिफ्टिंग चलती है। एक साथ नहीं चलता है। 120 गाड़ी में नहीं चलता है। नाईट (रात) में चलता है। दिन में चलता है। मॉर्निंग (सुबह) में चलता है।
रिपोर्टर : अच्छा, गेट का भी अलग-अलग होगा? ये गेट मेरा?
रविदास : हाँ, हम लोगों का यह गेट है।
रिपोर्टर : 1बी?
रविदास : हाँ, वो लड़का इधर नहीं आएगा, हम उधर नहीं जाएगा।
कोलकाता हवाई अड्डे के अंतरराष्ट्रीय गेट नंबर-5 पर हम हवाई अड्डे से अवैध टैक्सी चलाने वाले एक अन्य ठेकेदार मनोज सिंह से मिले। मनोज ने हमें बताया कि वह हवाई अड्डे पर अवैध रूप से अपनी टैक्सी पार्क करता है। हालाँकि जब कोई वीआईपी (अति विशिष्ट व्यक्ति) हवाई अड्डे पर आता है, जिसके लिए उसे पहले से अलर्ट किया जाता है, तो वह अपनी अवैध रूप से पार्क की गयी टैक्सी को हटाकर पार्किंग में डंप कर (लगा) देता है।
मनोज : देखिए, हमारे यहाँ कोई वीआईपी आता है न। साफ़ बोल रहे हैं; हमारे कोई वीआईपी आता है न, तो हमको बोल देता है गाड़ी हटाने को। हम लोग गाड़ी को पार्किंग में लगा देते हैं। ये पार्किंग है हम लोग ये करते हैं। देखिए, इस गाड़ी से लेकर उस गाड़ी तक हमारा है, यहाँ से लेकर उतनी दूर तक हमारी है। 40 गाड़ी हमारी है।
रिपोर्टर : आपकी यूनियन की 40 गाड़ी?
मनोज : यूनियन की 40 गाड़ी है।
रिपोर्टर : वैसे आपकी गाडिय़ाँ लगी रहती हैं?
मनोज : हाँ।
रिपोर्टर : पुलिस का कोई लफड़ा नहीं है?
मनोज : पुलिस का कोई लफड़ा नहीं है। आगर कोई वीवीआईपी (अत्यधिक महत्त्वपूर्ण व्यक्ति) आएगा, तो पुलिस हमको बोल
देती है।
जब हम मनोज से बात कर रहे थे, तब हमारी मुलाक़ात कोलकाता हवाई अड्डे से टैक्सी चलाने वाले एक अन्य ठेकेदार विकास धर से हुई। विकास ने कहा कि वह हवाई अड्डे से अवैध टैक्सी चलाने के लिए हर महीने पुलिस को पैसे दे रहा है।
रिपोर्टर : कोई पुलिस-वुलिस का लफड़ा तो नहीं है, एयरपोर्ट पर?
विकास : कुछ नहीं, कुछ नहीं। हम सब लोग मंथली (रिश्वत यानी महीने का बँधा हुआ पैसा) देता है न। पार्किंग देता। मंथली देता।
रिपोर्टर : पुलिस को?
विकास : हाँ।
वो दिन गये, जब दुनिया का सबसे पुराना पेशा वेश्यावृत्ति देश के विभिन्न हिस्सों में वेश्यालयों तक सीमित था। पिछले कुछ वर्षों के दौरान तरीक़ा बदल गया है। अब यह सब बस एक कॉल पर उपलब्ध है। हवाई अड्डे पर पिक करने से लेकर होटल में अपने ठहरने की व्यवस्था करना, महिलाओं के साथ बैठक (मीटिंग) तय करने और पुलिस को दूर रखने के लिए अब अवैध टैक्सी वाले उपलब्ध हैं, जो कोलकाता हवाई अड्डे पर दलालों के रूप में दोहरी भूमिका निभा रहे हैं।
‘तहलका’ के खोजी रिपोर्टर ने कोलकाता हवाई अड्डे पर दो बातों का ख़ुलासा किया। सबसे पहला यह कि अवैध टैक्सी संचालकों के गिरोह कोलकाता के हवाई अड्डे पर नियमों की जमकर धज्जियाँ उड़ा रहे हैं। दूसरा, कोलकाता के एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के बाहर सेक्स (लड़कियों, औरतों का जिस्म) बेचने वाले अवैध टैक्सी चालकों के गिरोह। शहर के रेड-लाइट एरिया (वेश्यावृत्ति क्षेत्र) में आने वाले घरेलू और अंतरराष्ट्रीय यात्रियों को नाबालिगों और कुलीन यौनकर्मियों के साथ मसाज और शारीरिक सम्बन्धों के लिए उपलब्ध करने के लिए।