“किसानों को तरबूज की खेती का नुक़सान नहीं उठाना पड़े इसका पूरा प्रयास किया गया है। ओला वृष्टि और चक्रवात से कुछ किसानों को नुक़सान हुआ था। राज्य के 24 ज़िलों में 21 ज़िलों से रिपोर्ट मिली इस आधार पर आपदा प्रबन्धन विभाग से 1.30 करोड़ रुपये किसानों को क्षतिपूर्ति के लिए मुहैया कराया गया है और अभी भी आकलन कार्य जारी है। तालाबंदी का असर कम करने के लिए बाज़ार समिति और ई-नैम के ज़रिये बायर और सेलर की मीटिंग करा कर तरबूज बिकवाने का निर्देश दिया गया। तरबूज की बिक्री के लिए सुविधा केंद्र की व्यवस्था की गयी। जहाँ काफ़ी संख्या में किसान और ख़रीदार पहुँचे।”
बादल
कृषि मंत्री, झारखण्ड सरकार
“मैंने क़रीब 31 एकड़ ज़मीन पर तरबूज की खेती की। इसमें लगभग 400 टन तरबूज हुए थे। बंगाल में जब तक लॉकडाउन नहीं लगा था, तब तक तरबूज का ठीक दाम मिल रहा था। खेत से सात रुपये प्रति किलो बेच रहे थे। बंगाल और झारखण्ड में तालाबंदी के बाद क़ीमत अचानक गिर गयी। इसके बाद यास तूफ़ान के कारण बारिश से और बरबादी हुई। पिछले साल अन्तिम रेट पाँच रुपये किलो तक था और फ़सल बर्बाद नहीं हुआ था। इस बार अन्तिम रेट दो रुपये तक गया और लगभग 40 टन तरबूज खेत में बर्बाद हो गया। किसी तरह से लागत मूल्य मिल पाया। कुछ किसानों को तो घाटा भी हुआ है।”
राजकिशोर
किसान