‘कांग्रेस ने योजना तक तो बनाई नहीं, विकास कहां किया’

dhumal

प्रेम कुमार धूमल को हिमाचल में भाजपा का सबसे कद्दावर नेता माना जाता है। दो बार मुख्यमंत्री रहने के अलावा वे प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे हैं और इस बार भी भाजपा के मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी हैं। यह माना जाता है कि 1998 में जब वे पहली बार मुख्यमंत्री बने थे तो इसमें नरेंद्र मोदी की सबसे बड़ी भूमिका थी जो उस समय हिमाचल भाजपा के प्रभारी थे। इसके बाद से आज तक वे मोदी के कट्टर समर्थक रहे हैं। पिछले पांच साल में कांग्रेस सरकार को वे अपने बूते विधानसभा के भीतर और बाहर घेरते रहे हैं। यह माना जाता है कि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह भी यदि किसी विपक्षी नेता को चुनाव में खतरा मानते हैं तो वे धूमल ही हैं हालांकि वीरभद्र सिंह सरकार ने पिछले पांच साल में उनके और उनके सांसद बेटे के खिलाफ मामले भी बनाये हैं। सुजानपुर में धूमल से चुनाव को लेकर जो बात की उसके कुछ अंश।

यह क्या हुआ, आलाकमान ने आपका हलका ही बदल दिया। सुना है आप इससे प्रसन्न नहीं।

नहीं ऐसा कुछ नहीं। पार्टी का फैसला है और कुछ सोच समझ कर ही किया गया होगा। अवश्य इससे पार्टी का हित जुड़ा होगा।

कांग्रेस ने वीरभद्र सिंह को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया। भाजपा कार्यकर्ता अभी इन्तजार कर रहे हैं। क्या इसका नुकसान नहीं हो रहा क्योंकि सभी को उम्मीद थी कि जिस तरह पिछले पांच साल से आप पार्टी का विधानसभा के भीतर और बाहर भी नेतृत्व कर रहे हैं उसे देखते हुए आप पार्टी की स्वाभाविक पसंद होंगे।

हाँ, यह सही है कि कार्यकर्ता मायूस हैं पर आलाकमान के ध्यान में यह बात है। मैं इस पर टिप्पणी नहीं करना चाहूंगा। ऐसा 1998 के चुनाव में भी हुआ था जब चुनाव से तीन – चार दिन पहले ही मुख्यमंत्री पद के लिए पार्टी ने ऐलान किया था। यह आलाकमान का विशेषाधिकार है और उचित समय पर उसकी तरफ से कोई फैसला होगा। कांग्रेस किसी को भी नेता घोषित कर दे इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि वह बुरी तरह हारने जा रही है।

क्या भाजपा में टिकट चयन पर आप संतुष्ट हैं?

पार्टी के टिकट चयन का अंतिम अधिकार पार्टी आलाकमान का है। प्रदेश नेताओं की तरफ से अपनी स्तुति दी जाती है अंतिम मुहर पार्टी लगाती है। जीत सकने की अधिकतम क्षमता वाले लोगों को ही टिकट दिए जाते हैं।

इस चुनाव में पार्टी की क्या सम्भावना आप देखते हैं।

भाजपा इस चुनाव में बहुत मजबूत है। हमने 50 प्लस का लक्ष्य पहले रखा था लेकिन अब लगता है पार्टी 60 का आंकड़ा पार कर सकती है। कुछ टीवी सर्वे भी आये हैं जो यही दिखा रहे हैं।

कांग्रेस का दावा है कि वह विकास के बूते दोबारा सत्ता में आएगी।

हाँ उसने विकास किया है पर सिर्फ अपने नेताओं का, भ्रष्टाचार के जरिये। कौन नहीं जानता कि मुख्यमंत्री पिछले एक साल से कोर्ट के चक्कर लगा रहे हैं। भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप उन पर हैं और पार्टी ने उन्हें फिर सीएम का उम्मीदवार बना दिया। इससे कांग्रेस की मानसिकता को समझा जा सकता है। जहाँ तक विकास की बात है केंद्र से हिमाचल को 63 राष्ट्रीय राजमार्ग दिए गए और राज्य की कांग्रेस सरकार पैसों की कमी का रोना रोती रही। केंद्र ने 298 करोड़ रुपए अलग से डीपीआर बनाने के लिए जारी किए, इसके बावजूद वीरभद्र सरकार समयबद्ध रिपोर्ट नहीं बना सकी जो प्रदेश के लिए बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। प्रदेश की सड़कें खतरनाक और जानलेवा हो गई हैं क्योंकि समय पर उनके रखरखाव पर ध्यान नहीं दिया गया।

कबाइली लाहौल-स्पीति जिला सड़क संपर्क के मामले में देश के 100 पिछड़े जिलों में शुमार है। भाजपा सत्ता में आने पर इन राष्ट्रीय राजमार्गों और दूसरी सड़कों के कार्यों में तेजी लाएगी। इसके अलावा केंद्र सरकार की स्मार्ट सिटी योजना के लिए अब तक धर्मशाला व शिमला का चयन किया है, लेकिन विकास का ढिढोंरा पीटने वाली वीरभद्र सिंह सरकार और उनका प्रशासन उदासीन रहा और धर्मशाला स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के लिए आवंटित 183 करोड़ रुपए खर्च करने के लिए आवश्यक योजना तक नहीं बना सका। योजना के कार्यान्वयन के लिए आवश्यक कर्मचारियों की नियुक्ति में भी देरी प्रदेश सरकार की कार्यप्रणाली के लचरपन को दिखाती है।

केन्द्र की स्मार्ट सिटी योजना के तहत अगले पांच साल में करीब 57,000 करोड़ रुपए का निवेश 100 शहरों को आधुनिक बनाते हुए स्मार्ट सिटी के स्वरुप में विकसित किया जाएगा। स्मार्ट सिटी की तीसरी सूची में शिमला को 23 जून को शामिल किया गया और शिमला के कायाकल्प के लिए 2906 करोड़ रुपए की योजना मंजूर की गई, लेकिन प्रदेश सरकार के विभागों की लापरवाही के चलते समयावधि समाप्त होने के बाद भी सात विभागों ने कुल 17 प्रोजेक्ट को लेकर कान्सेप्ट नोट तैयार कर निगम को भेजने थे, वह भी नहीं भेजे। उसके लिए विभागों को 15 दिन का अतिरिक्त समय भी दिया गया जो 30 सितंबर को खत्म हो गया, उसके बावजूद सरकार के विभाग आवश्यक जानकारी उपलब्ध नहीं करवा पाए। क्या वीरभद्र सिंह की सरकार का यही विकास है, जिसका गुणगान करने के लिए उत्तरांचल के पूर्व सीएम हरीश रावत व हरियाणा के पूर्व सीएम भूपिन्द्र हुड्डा को हिमाचल आना पड़ा, जिनके विकास के मॉडल को दोनों राज्यों की जनता पहले ही नकार चुकी है। बीजेपी का विकास का मॉडल केन्द्र की मोदी सरकार की सोच व नई- नई योजनाएं और परियोजनाएं हैं, जिन पर तीव्र गति से कार्य हो रहा है।

कांग्रेस का दावा है कि उसने बेरोजगारी भत्ता दिया है।

वीरभद्र सरकार बेरोजगारी भत्ते के नाम पर युवाओं को गुमराह कर रही है। कांग्रेस सरकार ने हमेशा अपने फायदे के लिए जनता की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया है। 2012 के चुनावी घोषणापत्र में कांग्रेस ने कहा था कि चुनाव जीतने के बाद प्रदेश में 10़2 पास युवाओं के लिए एक हजार और स्नातक के बेरोजगार युवाओं के लिए 1500 रुपए प्रतिमाह के हिसाब से दिए जाएंगे, लेकिन धरातल पर इस दिशा में सीएम ने कितना काम किया है, प्रदेश का युवा इस बात का गवाह है। हालांकि, पिछले चार साल से युवाओं की मांग के बावजूद इस मोर्चे पर सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की है। चार साल तक सर्वेक्षण के वादे कागजात पर ही बने रहे और प्रदेश सरकार ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने कहा कि अब जैसे ही चुनावों की घोषणा का समय आया तो वीरभद्र सिंह को लगा कि प्रदेश के नौ लाख बेरोजगार युवकों से किया गया झूठा वादा चुनाव के दौरान उनके लिए एक चुनौती बना सकता हैं तो आनन फानन उन्होंने 16,149 युवाओं के लिए, जो कुल बेरोजगार युवकों का केवल 1.79 फीसदी है, उन्हें बेरोजगारी भत्ता देने का दावा किया।

 

सतपाल सत्ती (प्रदेश भाजपा अध्यक्ष)

 

सत्ती दूसरी बार प्रदेश अध्यक्ष बने हैं और खुद ऊना सीट से भाजपा उम्मीदवार हैं। उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम धूमल का समर्थक माना जाता है। चुनाव को लेकर उन्होंने कहा प्रदेश में वीरभद्र सिंह सरकार ने पांच साल में वित्तीय नासमझी और कुशासन से प्रदेश को कर्जे के मकडज़ाल में फंसा दिया है। प्रदेश करीब 50,000 करोड़ रुपए के कर्ज में डूबा है। सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस सरकार का लिया गया कर्ज संविधान का उल्लंघन है। इसके बावजूद अपने कार्यकाल के आखिरी तीन महीनों में 2400 करोड़ का कर्जा 10 साल के स्टाक की नीलामी करके लिया गया, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि उस पैसे का दुरुपयोग किया गया और सीएम, मंत्रियों, बोर्डों, निगमों के अध्यक्षों व अधिकारियों के लिए नई महंगी गाडिय़ां खरीदी गईं। जो पैसा प्रदेश में विकास के लिए खर्च होना चाहिए था, वो पैसा अपने लिए सुविधा और ऐशो आराम पर खर्च किया गया, वहीं बोर्ड निगमों में अध्यक्षों व उपाध्यक्षों की फौज खड़ी की गई और उनके मासिक खर्चों जैसे-गाडिय़ों, आवास, दफ्तर पर हर महीनें करोड़ों खर्च किए गए, जिससे प्रदेश पर वित्तीय संकट बढ़ गया। एक बैंक के अध्यक्ष ने तो हर 6 महीनों में ही नई गाड़ी खरीदने की परंपरा को जन्म दिया, जो खुल्लम-खुल्ला बैंक में रखे जनता के पैसे का दुरूपयोग है।

सती ने कहा कि कांग्रेस की सरकार द्वारा लिए गए कर्ज के कारण हर नागरिक आज तकरीबन 60,000 रुपए के छिपे हुए कर्ज में दबा पड़ा है और हर पैदा होने वाला बच्चा भी जब दुनिया में सांस लेगा, अपनी आंखें खोलेगा तो कर्ज का मकडज़ाल ही उसका स्वागत करेगा। ऐसे में वीरभद्र सिंह को जनता को जवाब देना चाहिए कि इतना भारी कर्ज उनके वर्तमान कार्यकाल में विकास की जगह प्रदेश के विनाश की ओर क्यों ले गया? उनकी शासनतंत्र पर कोई भी पकड़ नहीं रही और हर ओर लूट मच गई, जिससे प्रदेश की भारी हानि हुई। वित्तीय कुप्रबन्धन को रोकने के लिए बीजेपी कारगर कदम उठाएगी और सुनिश्चित करेगी कि केन्द्र की योजनाओं व प्रदेश के लिए दिए गए धन का सही उपयोग किया जायेगा।