कश्मीर में अब अल्पसंख्यक निशाने पर

केंद्र भी चिन्तित

कश्मीर में आतंकी घटनाओं के जारी रहने और श्रीनगर में अल्पसंख्यकों की हत्यायों से केंद्र सरकार भी चिन्तित दिखती है। इन घटनाओं के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक करके इस पर चर्चा की। बैठक में आतंकियों के ख़िलाफ़ ऑपरेशन और भविष्य के ख़तरों पर चर्चा हुई।

बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवल, गृह सचिव अजय भल्ला, इंटेलीजेंस ब्यूरो (आईबी) प्रमुख अरविंद कुमार और सुरक्षा एजेंसियों के आला अधिकारी, डीजी सीआरपीएफ कुलदीप सिंह, डीजी बीएसएफ पंकज सिंह भी मौज़ूद रहे। पौने तीन घंटे की इस बैठक में अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान के आने और इसके बाद पाकिस्तान की सक्रियता बढऩे से बन रहे ख़तरों पर एजेंसियों ने इनपुट साझा किये।

इस बैठक में ख़ासतौर पर लक्षित हत्याओं (टार्गेटेड किल्लिंग्स) पर ज़्यादा चर्चा हुई। यह समझने की कोशिश हुई कि आतंकियों की नयी रणनीति का क्या मक़सद है। इस बात पर ज़ोर दिया गया कि आतंकियों को सिर नहीं उठाने दिया जाए। कुछ अधिकारियों का कहना था कि हाल में कमज़ोर हुए आतंकी ख़ुद को मज़बूत करना चाहते हैं; क्योंकि उनके बड़े कमांडर मारे जा चुके हैं।

 

“कश्मीर में हिंसा की घटनाएँ बढ़ती जा रही हैं। आतंकवाद न तो नोटबन्दी से रुका, न अनुच्छेद-370 हटाने से। केंद्र सरकार सुरक्षा देने में पूरी तरह असफल रही है। हमारे कश्मीरी भाई-बहनों पर हो रहे इन हमलों की हम कड़ी निंदा करते हैं और मृतकों के परिवारों को शोक-संवेदनाएँ भेजते हैं।”

                                              राहुल गाँधी

कांग्रेस नेता (एक ट्वीट में)

 

“हमारी अपील है कि कश्मीर में अल्पसंख्यक समुदाय घाटी छोड़कर न जाएँ। हमारे समुदाय के लोग नहीं चाहते हैं कि आप यहाँ से जाएँ। हाल में जिन शैतानों ने आम नागरिकों को मारा है, वो कभी भी अपने मक़सद में कामयाब नहीं हो पाएँगे। आतंकियों को यह अधिकार नहीं है कि वो तय करें कि कश्मीर में कौन                                                रहेगा और कौन नहीं।”

                                             उमर अब्दुल्ला

पूर्व मुख्यमंत्री, जम्मू-कश्मीर एवं एनसी नेता

(एक ट्वीट में)

 

“कश्मीर में नागरिकों, ख़ासकर अल्पसंख्यकों की हत्या का मक़सद भय का माहौल बनाना और सदियों पुराने साम्प्रदायिक सद्भाव को नुक़सान पहुँचाना है। यह दरिंदगी, वहशत और दहशत का मेल है। जो लोग मानवता, भाईचारे और स्थानीय मूल्यों को निशाना बना रहे हैं, वे जल्द ही बेनक़ाब होंगे। हालिया हमले कश्मीर के मुस्लिम समुदाय को बदनाम करने की कोशिश हैं, और साफ़ है कि आतंकवादी पाकिस्तान के इशारे पर काम कर रहे हैं, ताकि घाटी में शान्ति बहाली में बाधा डाली जा सके।”

दिलबाग सिंह

पुलिस महानिदेशक, जम्मू-कश्मीर

 

हाल की घटनाएँ

2 जून : त्राल में भाजपा नेता राकेश पंडिता की हत्या।

8 जून : अनंतनाग में कांग्रेस नेता और सरपंच अजय पंडिता की हत्या।

22 जून : इंस्पेक्टर परवेज़ अहमद पर हमला।

15 जुलाई : सोपोर में भाजपा नेता मेहराजुद्दीन मल्ला अगवा, बाद में छुड़ाये।

2 अक्टूबर : श्रीनगर के चट्टाबल में माज़िद अहमद गोजरी की हत्या।

2 अक्टूबर : एसडी कॉलोनी बटमालू में मोहम्मद शफ़ी डार को गोलियों से भूना।

5 अक्टूबर : श्रीनगर के दवा विक्रेता माखन लाल बिंदरू की गोली मारकर हत्या।

5 अक्टूबर : चाट विक्रेता बिहार के वीरेंद्र पासवान की हत्या।

5 अक्टूबर : उत्तरी कश्मीर के बाँदीपोरा में मोहम्मद शफ़ी लोन की हत्या।

7 अक्टूबर : श्रीनगर में सिख महिला प्रिंसिपल, हिन्दू शिक्षक की स्कूल में हत्या।

11 अक्टूबर : जम्मू-कश्मीर के पुंछ में आतंकी मुठभेड़ में एक जेसीओ समेत पाँच जवान शहीद।