कर्नाटक जीता, पर चुनौतियाँ और भी हैं

हालाँकि कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ जनादेश और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए एक बड़ी उपलब्धि मान लेना भूल और जल्दबाज़ी होगी। कांग्रेस दावा कर सकती है कि नफ़रत पर मोहब्बत की जीत हुई है और भारत जोड़ो यात्रा ने पार्टी के कार्यकर्ताओं को फिर से सक्रिय और मतदाताओं को उत्साहित कर दिया है। हालाँकि कर्नाटक में कांग्रेस द्वारा लोगों को दी गयी पाँच गारंटी को पूरा करना वहाँ बन रही कांग्रेस सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती होगी। यह भी लगता है कि एक ग़ैर-गाँधी को पार्टी प्रमुख के रूप में चुनना भी कांग्रेस के लिए लाभकारी रहा है। उनका ज़िम्मा अब विपक्षी दलों और इसके बड़े नेताओं- नीतीश कुमार, अरविंद केजरीवाल, ममता बनर्जी और के. चंद्रशेखर राव को साथ लाना होगा। साथ ही आम चुनाव तक अपने लम्बे समय के विपक्षी सहयोगियों के साथ निरंतरता भी सुनिश्चित करनी होगी।