कपड़ों पर जीएसटी स्थगित, जूतों और स्टेशनी पर य़थावत

जूता व्यापारी पंकज सूद का कहना है कि कोरोना काल चल रहा है आर्थिक मंदी के चलते जूता का व्यापार कम है। रहा सवाल विरोध का तो सरकार को खुद समझना चाहिये। कि व्यापारियों की आर्थिक स्थिति बिगड रही है। ऐसे में जूता पर जीएसटी थोपें जाने के कारण विपरीत असर पड़ेगा। स्टेशनरी की दुकान चलाने वाले रतन गुप्ता का कहना है कि कोरोना काल में स्टेशनरी का काम लगभग बंद सा है। क्योंकि स्कूल और काँलेजों के बंद होने के कारण पढ़ाई आँनलाईन होने की वजह से दुकानों पर ग्राहक कम आ रहे है। रहा सवाल जीएसटी बढ़ाये जाना का तो उससे महंगे समान होने से बिक्री पर विपरीत असर पड़ेगा।

सरोजनीनगर मार्केट अध्यक्ष अशोक रंधावा का कहना है कि सरकार की नीतियां व्यापारी विरोधी है। उनका कहना है कि कपड़ा पर बढ़ाये गये जीएसटी को हटाया नहीं है बल्कि स्थगित किया है। क्योंकि आने वाले दिनों में पांच राज्यों के विधानसभा के चुनाव है। उनका कहना है कि देश में कपड़ा का कारोबार है बढ़ा है। लाखों की संख्या में व्यापारी और उससे जुड़े लोगों को देखते हुये वोट बैंक को नापते और मापते हुये सरकार ने सियासी दांव चला है। इसलिये कपड़ा पर जीएसटी को हटाया गया है। अशोक रंधावा का कहना है कि सरकार को जूता और स्टेशनरी पर बढ़ाये गये जीएसटी को वापस लेना चाहिये।