कई सरकारी संस्थाओं में ख़ाली पड़े हैं महत्त्वपूर्ण पद

अन्य राज्यों की स्थिति कुछ बेहतर

देश के अन्य राज्य उत्तर प्रदेश, बिहार, उड़ीसा, बंगाल आदि की स्थिति कुछ बेहतर है। उत्तर प्रदेश में आयोग, निगम, बोर्ड आदि में ज़्यादा महत्त्वपूर्ण पदों को सन् 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भरा गया था। बिहार में भी महत्त्वपूर्ण आयोग क्रियाशील हैं। हालाँकि वहाँ भी कई बोर्डों और निगमों में पद रिक्त हैं। बंगाल में अभी चुनाव सम्पन्न हुआ है। ममता बनर्जी की सरकार बनी है। पूर्व से जिन बोर्ड, निगम, पार्षद आदि के पद भरे हुए थे, वह क्रियाशील हैं। अब एक बार फिर सरकार इस पर ध्यान देने की तैयारी में है।

अदालत पहुँचा झारखण्ड का मामला

आयोग, बोर्ड, निगम आदि में पद रिक्त होने का मामला झारखण्ड उच्च न्यायालय में भी पहुँच गया है। इस मामले में सरकार का ध्यान आकृष्ट करने के लिए पिछले दिनों एक जनहित याचिका भी दाख़िल की गयी है। हालाँकि इस पर अभी सुनवाई नहीं हुई है। उम्मीद है कि अगले महीने इस पर कोर्ट में सुनवाई होगी। अब अदालत के निर्देश पर सरकार कोई फ़ैसला लेती है या फिर इससे पहले ही सरकार महत्त्वपूर्ण आयोग, बोर्ड और निगम में पदों पर नियुक्ति करती है? यह तो आने वाले वक़्त में पता चलेगा। फ़िलहाल लोगों की जो परेशानी है और विकास को गति नहीं मिल रही है, उसे नकारा नहीं जा सकता है।

“सरकार में जो कामकाज होता है, वह एक अलग तरीक़े से होता है। निगम, बोर्ड, आयोग को एक ऑटोनोमस बॉडी के रूप में बनाया जाता है, जिससे वह स्वतंत्र रूप से काम करे। इसके गठन से सरकारी तंत्र के काम करने की जो प्रक्रिया है, उसका और सरलीकरण हो जाता है। इसके गठन नहीं होने से जिस कारण से बोर्ड, निगम या आयोग बनाया गया है, वह हल नहीं हो पाएगा। अगर गठन नहीं हो रहा है, तो निश्चित कोई  बात होगी। सम्भव है कि सरकार ने कोई  वैकल्पिक व्यवस्था की हो।”

आदित्य स्वरूप

पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त और पूर्व प्रधान सचिव,

कार्मिक विभाग