उत्तर प्रदेश में अतिक्रमण पर बुलडोजर

मुख्यमंत्री योगी ने दिये शत्रु सम्पत्ति को मुक्त कराने के आदेश

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार दो का उद्देश्य उत्तर प्रदेश को स्वच्छ तथा सुन्दर बनाना है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए गाँवों के सौंदर्यीकरण की दिशा में काम कर रहे हैं। योगी आदित्यनाथ सरकार दो के आने के बाद इसके लिए एक सबसे बड़ा कार्य बुलडोजर से अतिक्रमण हटाने का हुआ है। मगर बुलडोजर चलाने पर योगी आदित्यनाथ सरकार पर अकारण ही घर तोड़कर लोगों को बेघर करने के आरोप भी लगे हैं। अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ गृह विभाग की समीक्षा के दौरान प्रशासन को निर्देश दिया है कि प्रदेश के विभिन्न जनपदों की शत्रु सम्पत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु अतिक्रमण हटाया जाए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आदेश है कि शत्रु सम्पत्ति का ब्योरा तैयार करके उस पर से अतिक्रमण हटाने के लिए बुलडोजर चलाया जाए।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश के अनुरूप प्रदेश भर में शत्रु सम्पत्ति पर से अतिक्रमण हटाने का कार्य राज्य के गृह विभाग की निगरानी में होगा। इसके तहत शत्रु सम्पत्ति की सुरक्षा, निगरानी तथा प्रबंधन के लिए प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारियों को नोडल अधिकारियों की तरह तैनात किया जाएगा। असल में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अन्तरराज्यीय, अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित गाँवों को व्यावसायिक, सांस्कृतिक तथा पर्यटन योग्य ऐतिहासिक विरासतों का बेजोड़ नमूना बनाना चाहते हैं, जिसके लिए अतिक्रमण हटाना परम् आवश्यक है। सीमावर्ती जनपदों में केंद्र व राज्य सरकार की जनहितकारी योजनाओं का लोगों को शत्-प्रतिशत सन्तुष्टि सुनिश्चित कराने के अतिरिक्त विभिन्न प्रकार की शिक्षा प्राप्त कर रहे विद्यार्थियों के अतिरिक्त स्वयंसेवकों को इन क्षेत्रों का भ्रमण कराने का भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रशासन को आदेश दिया है। इसके लिए उन्होंने इन क्षेत्रों में रहने वाले सेवानिवृत्त सैन्यकर्मियों, अर्धसैनिक बलों के जवानों एवं स्थानीय जानकारों का सहयोग लेने का सुझाव दिया है।

शत्रु सम्पत्ति का अर्थ

भारत में शत्रु सम्पत्ति उसे कहा जाता है, जो सन् 1962 के भारत चीन युद्ध तथा सन् 1965 व सन् 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्धों के बाद भारत छोडऩे वालों द्वारा छोड़ी गयी चल-अचल सम्पत्ति है। इस सम्पत्ति को भारत सरकार ने अपने अधीन रखा हुआ है। मगर धीरे-धीरे इस सम्पत्ति पर स्थानीय लोगों ने अतिक्रमण कर लिया, जिसे अब उत्तर प्रदेश की योगी आतित्यनाथ सरकार मुक्त कराना चाहती है।

भू-राजस्व के एक सरकारी अधिकारी की मानें तो देश के कई राज्यों विशेषकर सीमावर्ती राज्यों में शत्रु सम्पत्ति अथाह है। अधिकारी ने बताया कि शत्रु सम्पत्ति के मुद्रीकरण के उद्देश्य से सन् 2020 में भारत के गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था, जिसमें शत्रु सम्पत्तियों के सफल निपटान के निर्देश दिये गये थे। कहा जाता है कि भारत पाकिस्तान के बीच सन् 1965 में हुए युद्ध के बाद सन् 1966 में भारत तथा पाकिस्तान के बीच ताशकंद घोषणा समझौते पर हस्ताक्षर हुए, जिसमें दोनों देशों द्वारा ली गयी एक-दूसरे की सम्पत्ति को वापस करने का वादा किया था। मगर पाकिस्तान ने सन् 1971 में उस वादे के विरुद्ध जाते हुए भारत की सम्पत्तियों का निपटारा कर दिया। मगर भारत सरकार ने उसे अभी तक शत्रु सम्पत्ति ही बनाकर रखा हुआ है। यह अलग बात है कि स्थानीय लोगों द्वारा ऐसी सम्पत्तियों पर अतिक्रमण कर लिया गया है, जिसे अब उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार मुक्त कराना चाहती है।

सन् 1968 में भारत सरकार ने शत्रु सम्पत्ति पर नियंत्रण के लिए शत्रु सम्पत्ति अधिनियम भी बनाया था। इसके बाद से इस सम्पत्ति पर कई तरह के विवाद भी होते रहे हैं, जिनका निपटान अभी पूर्ण रूप से नहीं हो सका है। शत्रु सम्पत्ति अधिनियम में कई संशोधन भी अब तक हो चुके हैं। शत्रु सम्पत्ति की परिभाषा को लेकर भी विवाद होते रहे हैं।

बेघर होंगे सैकड़ों लोग

गाँवों तथा जनपदों में रहने वाले लोगों के पास जितनी सम्पत्ति है, उसमें से कुछ नहीं तो 10 प्रतिशत सम्पत्ति तो अतिक्रमण की ही होगी। प्रश्न यह उठता है कि यह अतिक्रमण वाली सम्पत्ति में से किसको पता कि उसके पास जो अतिक्रमण वाली सम्पत्ति है, वह शत्रु सम्पत्ति है अथवा सरकार की सम्पत्ति है। कई सम्पत्तियाँ तो ऐसी भी होंगी, जिनके दस्तावेज़ तहसील अथवा रजिस्ट्रार कार्यालय से तैयार करवाकर लोग उनके मालिक बन चुके हैं।

इसमें कोई आपत्ति नहीं कि अतिक्रमण हटना आवश्यक है, मगर इसका विरोध भी जमकर होगा। इसके अतिरिक्त यह तय है कि अतिक्रमण हटाने से सैकड़ों लोग बेघर हो जाएँगे। इसका मुख्य कारण यह है कि सरकारी तथा शत्रु सम्पत्तियों पर कई-कई पीढिय़ों से लोगों की अधीनता है। कितने ही लोग हैं, जिन्हें यह भी पता नहीं है कि उनके पास जो सम्पत्ति है, वो असल में उनके दादा अथवा परदादा ने किस प्रकार प्राप्त की थी।

ग्रामीण क्षेत्रों में बसे लोगों के पास तो इसकी कोई रजिस्ट्री तक कई बार नहीं होती है। इसके अतिरिक्त जो लोग सड़कों के किनारे बसे हुए हैं अथवा शत्रु सम्पत्ति पर पिछली दो-तीन पीढिय़ों से रहते आ रहे हैं अथवा व्यवसाय चला रहे हैं, उन्हें अगर अतिक्रमणकारी बताकर उजाड़ा गया, तो वे कहाँ जाएँगे? यह एक अति आवश्यक प्रश्न है। अतिक्रमण हटाने के लिए कुछ साल पहले गाँवों तथा नगरों में निशान लगाये गये थे। इन निशानों से पता चलता है कि अतिक्रमण पर बुलडोजर चलने से अनेक लोग बेघर हो जाएँगे।

नहीं होना चाहिए भेदभाव

अगर उत्तर प्रदेश की योगी आतित्यनाथ सरकार अतिक्रमण हटाना ही चाहती है, तो उसे समरूप से सभी अतिक्रमणकारियों को ही उस सम्पत्ति से हटाना होगा। अगर सरकार अथवा अतिक्रमण हटाने वाले अधिकारी इसमें भेदभाव करते हैं तथा केवल उन्हीं लोगों से सम्पत्ति छीनते हैं, जो सरकार के विरुद्ध हैं या दूसरे वर्ग के हैं, तो यह उन अधिकारियों की तथा योगी आदित्यनाथ सरकार की आलोचना का कारण बन सकता है। अब तक देखा गया है कि कुछ लोगों के घर पर बुलडोजर चलाने में योगी आदित्यनाथ सरकार पर भेदभाव के आरोप लगे हैं कि एक विशेष वर्ग के घरों तथा दुकानों पर बुलडोजर चला है। दलितों के प्रति भी भेदभाव के आरोप योगी आदित्यनाथ सरकार पर लगते रहे हैं। ये आरोप मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर विशेषकर लगते रहे हैं। अत: उन्हें ऐसे आरोपों से बचने के लिए भेदभाव की नीति का त्याग करते हुए सबके साथ एक जैसा व्यवहार करना होगा।

भू-माफ़िया का बोलबाला

इसमें कोई सन्देह नहीं कि भारत में भू-माफ़िया का बोलबाला है। उत्तर प्रदेश भी इससे अछूता नहीं है। प्रदेश का ऐसा कोई जनपद (ज़िला), उप नगर (क़स्बा) अथवा गाँव नहीं होगा, जहाँ भू-माफ़िया का बोलबाला न हो। सबसे पहली आवश्यकता इन भू-माफ़िया से सरकारी तथा शत्रु सम्पत्ति मुक्त कराने की है। इसके अतिरिक्त इन भू-माफ़िया से मिलीभगत करके सरकारी तथा शत्रु सम्पत्ति पर अतिक्रमण कराने वाले अथवा इन सम्पत्तियों को बेचने वाले अथवा इनके फ़र्ज़ी दस्तावेज़ बनाने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने की आवश्यकता है।

ऐसे लोगों से निपटने के लिए बहुत पहले ही उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा एंटी भू-माफ़िया पोर्टल उत्तर प्रदेश बनाया जा चुका है। इस पोर्टल का मुख्य उद्देश्य राज्य में अवैध अतिक्रमण करने वालों के विरुद्ध सरकार तथा प्रशासन से शिकायत करना है। किसी भी व्यक्ति विशेष द्वारा की गयी यह शिकायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक भी आसानी से पहुँच सकती है। अगर कोई भू-माफ़िया जबरन किसी व्यक्ति की भूमि पर अथवा सरकारी भूमि पर अथवा शत्रु सम्पत्ति पर अतिक्रमण करता है, उस पर अवैध निर्माण करता है, तो उसे तत्काल मुक्त कराया जा सकता है।

इसके अतिरिक्त उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रत्येक मंडल तथा तहसील में एंटी भू-माफ़िया फोर्स बनायी गयी है। इस एंटी भू-माफ़िया फोर्स का कार्य उत्तर प्रदेश में भूमि से जुड़ी समस्याओं के समाधान के अतिरिक्त भू-माफ़िया के चंगुल से हथियायी हुई भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराना है। इस एंटी भू-माफ़िया फोर्स का कार्य अतिक्रमणकारियों तथा भू-माफ़िया को चिह्नित करके उनके विरुद्ध प्रभावी कार्यवाही करना भी है, ताकि भू-माफ़िया तथा दबंगों पर उचित कार्रवाई की जा सके।