अहमद मसूद का तालिबान के खिलाफ जंग का ऐलान, सालेह ने खुद को राष्ट्रपति घोषित किया

तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद वहां कई घटनाक्रम देखने को मिल रहे रहे हैं। उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने संविधानी के तहत खुद को अफगानिस्तान का राष्ट्रपति घोषित कर दिया है जबकि नॉर्दन अलायंस के नेता अहमद मसूद ने कहा है कि तालिबान के खिलाफ लड़ाई लड़ी जाएगी। अफगानिस्तान में कई जगह तालिबान का जबरदस्त विरोध देखने को मिल रहा है जबकि तालिबानी गोलीबारी में कुछ लोगों की जान जाने की भी रिपोर्ट्स हैं। उधर पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी के यूएई में शरण लेने की पुष्टि हुई है। काबुल के गुरुद्वारा में बड़ी संख्या में हिन्दुओं और सिखों ने पनाह ली हुई है और भारत सरकार से मदद की गुहार लगाई है। तालिबान प्रमुख मुल्ला बरादर काबुल आ गया है जबकि तालिबान के कई बड़े नेताओं ने पूर्व राष्ट्रपति हामिद करज़ई मुलाकात से मुलाकात की है।

तालिबान के अफगानिस्तान में कब्जे के बावजूद वहां उनका विरोध आने वाले समय में दिख सकता है। पंजशीर घाटी पर अभी तक तालिबान का कब्ज़ा नहीं हुआ है। उस इलाके से ताल्लुक रखने वाले अफगानिस्तान के उप-राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने खुद को देश के संविधान के तहत राष्ट्रपति घोषित कर दिया है। उनके अलावा नॉर्दन अलायंस के नेता अहमद मसूद ने भी तालिबान के खिलाफ जंग का ऐलान किया है। वे पूर्व कमांडर अहमद शाह मसूद के बेटे हैं। उनके अलावा मजार-ए-शरीफ के ताकतवर नेता मार्शल अब्दुल रशीद दोस्तम और अता मोहम्मद नूर भी तालिबान के खिलाफ ख़म ठोकने की तैयारी कर रहे हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक अफगानिस्तान में कई जगह तालिबान का जबरदस्त विरोध देखने को मिल रहा है जबकि तालिबानी गोलीबारी में कुछ लोगों की जान जाने की भी रिपोर्ट्स हैं। एक वीडियो में महिलाओं को तालिबान का विरोध करते हुए देखा जा रहा है।

उधर अफगानिस्तान में अभी सैकड़ों भारतीय फंसे हैं। करीब 300 हिंदू और सिख काबुल के करते परवन गुरुद्वारे में शरण लिये हुए हैं। करते परवन गुरुद्वारे में अन्य के साथ फंसे गुरुद्वारा के प्रधान गुरनाम सिंह समिति के सदस्य तलविंदर सिंह चावला ने एक भारतीय चैनल से बातचीत में कहा – ‘मैं भारत सरकार से अपील करता हूं कि हमें यहां से तुरंत निकाला जाए। यह हमारे और हमारे के समुदाय के लिए अच्छा होगा कि हम तुरंत भारत चले जायें। करते परवन गुरुद्वारे में बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों सहित लगभग 250-300 सिख और हिंदू फंसे हैं। हम भारत सरकार से अपील करते हैं कि हमें यहां से तुरंत निकाला जाए।’

चावला ने कहा कि इस समय जलालाबाद प्रांत में लोग तालिबान के विरोध में सड़क पर उतर आए हैं, जिससे स्थिति और भी खराब हो गई है। तालिबान प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए फायरिंग कर रहा है। फिलहाल, राजधानी काबुल में युद्ध जैसी स्थिति तो नहीं दिख रही है, लेकिन जल्द ही हालात खराब होने की संभावना है। रिपोर्ट्स के मुताबिक तालिबान के एक समूह ने हाल में करते परवन गुरुद्वारे का दौरा किया था और लोगों को सुरक्षा का भरोसा दिलाया था।
इस बीच साफ़ हो गया है कि अफगानिस्तान से भागे राष्ट्रपति अशरफ गनी यूएई में हैं। संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्रालय ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा – ‘यूएई का विदेश मामलों और अंतरराष्ट्रीय सहयोग मंत्रालय इस बात की पुष्टि कर सकता है कि यूएई ने मानवीय आधार पर राष्ट्रपति अशरफ गनी और उनके परिवार का देश में स्वागत किया है।’

ताजिकिस्तान में अफगानिस्तान के राजदूत मोहम्मद जहीर अगबर ने बड़ा दावा करते आरोप लगाया है कि ‘राष्ट्रपति अशरफ गनी जब अफगानिस्तान से भागे थे, तो वह अपने साथ 16.9 करोड़ डॉलर (12.67 अरब रुपये) ले गए थे। गनी को गिरफ्तार किया जाना चाहिए और अफगान राष्ट्र की संपत्ति को बहाल किया जाना चाहिए।’ गनी ने, हालांकि, इसे गलत बताते हुए कहा है कि वे सिर्फ एक जोड़ी कपड़ों में अपने देश से गए और उनके जाने का कारण देश में खून खराबा रोकना था।

उधर अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने खुद को अफगानिस्तान का राष्ट्रपति घोषित कर दिया है। सालेह ने ट्वीट में लिखा – ‘अफगानिस्तान के संविधान के अनुसार, राष्ट्रपति की अनुपस्थिति, पलायन, इस्तीफा या मृत्यु में उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति बन जाता है। मैं वर्तमान में अपने देश के अंदर हूं और और वैध केयरटेकर प्रेसिडेंट हूं। मैं सभी नेताओं से उनके समर्थन और आम सहमति के लिए संपर्क कर रहा हूं।’

इस बीच तालिबान प्रमुख मुल्ला बरादर काबुल आ गया है जबकि तालिबान के कई बड़े नेताओं ने पूर्व राष्ट्रपति हामिद करज़ई मुलाकात से मुलाकात की है। इसे काफी अहम घटना माना जा रहा है। उधर तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने कहा कि ‘अफगानिस्तान अब मुक्त हो गया है और समूह कोई बदला नहीं लेना चाहता है।  काबुल में दूतावासों की सुरक्षा हमारे लिए महत्वपूर्ण है। हम सभी देशों को आश्वस्त करना चाहते हैं कि हमारे बल सभी दूतावासों, अंतरराष्ट्रीय संगठनों और सहायता एजेंसियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मौजूद हैं।’