अशोका विश्वविद्यालय घोटाले से शिक्षा तंत्र शर्मसार

अशोका विश्वविद्यालय से जुड़े वरिष्ठ एक कर्मचारी ने बताया कि गुप्ता ब्रदर्स की राजनीतिक पहुँच के चलते तमाम मामले अक्सर सामने नहीं आते थे। लेकिन बुद्धिजीवियों से जबसे पंगा हुआ है, तबसे विश्वविद्यालय में फैले भ्रष्टाचार को ख़ुलासे को लेकर आशंका प्रबल हो गयी थी; जो अब सामने आ गयी है। लेकिन मौज़ूदा समय में विश्वविद्यालय में सियासी माहौल दिन-ब-दिन गरमाता जा रहा है। सूत्रों से पता चला है कि अगर विश्वविद्यालय में प्रशासनिक किसी प्रकार का कोई फेरबदल होता है, तो निश्चित तौर पर उन लोगों को मौ$का दिया जाएगा, जो देश की सियासत से जुड़े होने के साथ-साथ उस विचारधारा सहमत हैं, जिसको मौज़ूदा समय में सरकार बढ़ाना चाहती है। क्योंकि अशोका विश्वविद्यालय देश-दुनिया के उन शैक्षिण संस्थानों में नाम है, जहाँ पर कई अतंरराष्ट्रीय कोर्स एक साथ चल रहे हैं।

दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. एच.के. खन्ना का कहना है कि किसी भी विश्वविद्यालय में फैला भ्रष्टाचार इस बात की पुष्टि करते हैं कि वहाँ पर शिक्षा के अलावा अन्य अवसरों को मौक़ा दिया जा रहा है। उनका कहना है कि जिस तरीक़े से स्तम्भकार भानु प्रताप मेहता और भारत सरकार के पूर्व आर्थिक सलाहकार अरविन्द सुब्रमण्यण का इस्तीफ़ा हुआ है। इससे इस बात की पुष्टि होती है कि अशोका विश्वविद्यालय में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। और जो भ्रष्टाचार के मामले विश्वविद्यालय के सामने आये हैं, वो शिक्षा और विश्वविद्यालय के लिए ठीक नहीं है।