अफगानिस्तान में अब अमेरिका का फोकस अपने नागरिकों को बाहर निकालना

अफगानिस्तान में तालिबान का वर्चस्व दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है। अगले एक महीने में उसके काबुल पर भी कब्जा करने की उम्मीद है। इस बीच, अमेरिका की जो बाइडन सरकार भी मान रही है कि एक महीने के भीतर काबुल पर भी तालिबान का कब्जा हो जाएगा और अफगान सरकार गिर जाएगी। ऐसे में अमेरिका ने अफगानिस्तान में मौजूद अपने नागरिकों को निकालने की पूरी तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए उसने अपने 3 हजार सैनिकों को वापस अफगानिस्तान भेज रहा है, ताकि वहां से अपने नागरिकों को सुरक्षित निकाल सके। उसे वहां के नागरिकों और सरकार में लगता है अब कोई दिलचस्पी नहीं है। अमेरिका ने स्पष्ट किया है कि सैनिक लंबे वक्त के लिए नहीं भेजे जा रहे हैं, ये सिर्फ अस्थायी मिशन है।

बता दें कि अमेरिका ने 3500 सैनिक कुवैत में अमेरिकी बेस पर भी तैनात कर रखे हैं। ये सैनिक जरूरत पड़ने पर अफगानिस्तान सरकार की मदद को पहुंच सकते हैं। इसके अलावा एक हजार सैनिक कतर में भी तैनात हैं। ये उन अफगानियों की मदद कर रहे हैं, जो स्पेशल वीजा पर अमेरिका में बसना चाहते हैं। अफगानिस्तान में तालिबान अब तक 34 में से 12 प्रांतों पर कब्जा कर चुका है।

पेंटागन के प्रवक्ता जॉन किर्बी ने राष्ट्रपति जो बाइडेन के उस बयान का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने अफगानिस्तान से सेनाओं की वापसी की बात कही थी। किर्बी ने कहा कि हमारा फोकस केवल अमेरिकी नागरिकों और सहयोगियों को अफगानिस्तान से बाहर निकालना है। उन्होंने कहा कि अभी सैनिकों को भेजना एक टेम्परेरी मिशन है। हम विदेश मंत्रालय से अपील करते हैं कि स्पेशल इमिग्रेंट वीजा एप्लीकेशन की प्रक्रिया को तेज करें ताकि कोई रुकावट न आए। इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के साथ अफगानिस्तान के हालात को लेकर बैठक कर समीक्षा की थी। इसके बाद अमेरिकी दूतावास ने अलर्ट जारी किया था कि अफगानिस्तान में मौजूद अमेरिकी किसी भी फ्लाइट से अफगानिस्तान छोड़ दें। अमेरिकी प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि हम अफगानिस्तान से दूतावासों में काम कर रहे 5400 लोगों को बाहर निकालने में जुटे हुए हैं, इनमें करीब 1400 अमेरिकी नागरिक हैं।

तालिबान से हमला न करने की अपील
अमेरिका के शांति वार्ताकारों ने तालिबान से अपील की है कि अगर वे राजधानी काबुल पर कब्जा कर लेते हैं तो वे उसके दूतावास पर हमला नहीं करेंगे। साथ ही उसके नागरिकों और दूतावास के अफसरों को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचाएंगे। तालिबान के साथ मुख्य अमेरिकी दूत जाल्मय खलीलजाद के नेतृत्व में बातचीत हो रही है। बताया जा रहा है कि अमेरिका अफगानिस्तान में तालिबान की भावी सरकार को आर्थिक सहयोग लटकाने की धमकी देकर अपने लोगों की सुरक्षित वासी सुनिश्चत करना चाहता है।