अगली बार मोदी या कोई और?

भाजपा ने हाल के महीनों में ध्रुवीकरण की राजनीति को अपना प्रमुख हथियार बना लिया है। वह विकास से इतर हिन्दुत्व और आक्रामक राष्ट्रवाद पर ज़्यादा निर्भर दिखने लगी है। इसके अलावा जो तीसरी बात भाजपा करने लगी है, वह है परिवारवाद के ख़िलाफ़ उसका मोर्चा खोलना। ज़ाहिर है एक रणनीति के तहत भाजपा गाँधी परिवार को निशाने पर रख रही है। राजनीति के जानकार मानते हैं कि भाजपा का अचानक हर मंच पर परिवारवाद के ख़िलाफ़ सक्रिय होना इस कारण से है; क्योंकि वह जनता के दिमा$ग में यह बैठाना चाहती है कि गाँधी परिवार उसके लिए सही नहीं। और यह भी कि वह भ्रष्ट है। जबकि हक़ीक़त यह है कि भाजपा मानती है कि देश की राजनीति में गाँधी परिवार के रहते उसके (भाजपा) सामने राजनीतिक चुनौतियाँ हमेशा रहेंगी, भले फ़िलहाल कांग्रेस कमज़ोर हो। उसके ‘देश में सिर्फ़ भाजपा’ के अभियान में गाँधी परिवार और कांग्रेस ही मुख्य अड़चन हैं, क्षेत्रीय दल कम-से-कम राष्ट्रीय स्तर पर उसके लिए कोई गम्भीर चुनौती नहीं, भाजपा यह अच्छी तरह समझती है।
भाजपा परिवारवाद के ख़िलाफ़ तो बोलती है; लेकिन सच यह है कि ख़ुद उसके दर्ज़नों नेताओं के परिजन उसकी राजनीति चला रहे हैं। इनमें राष्ट्रीय नेताओं से लेकर क्षेत्रीय नेता तक शामिल हैं। कांग्रेस की बात करें, तो राजीव गाँधी की सन् 1991 में एलटीटीई के हाथों हत्या के बाद तीन बार बनी कांग्रेस की सरकारों में एक बार भी गाँधी परिवार का प्रधानमंत्री नहीं रहा। यहाँ तक कि कांग्रेस अध्यक्ष भी हमेशा गाँधी परिवार से नहीं रहा। ऐसे में कांग्रेस को इन तीन दशकों में गाँधी परिवार ने ही चलाया, यह भी सही नहीं है; भले उसका दबदबा पार्टी पर बरक़रार रहा हो।

ऐसे में भाजपा की परिवार विरोधी राजनीति की मुहिम गाँधी परिवार को कितना नुक़सान पहुँचाएगी और ख़ुद भाजपा को कितना फ़ायदा देगी, यह तो समय ही बताएगा। फ़िलहाल भाजपा और भाजपा से बाहर इस बात पर कयास लग रहे हैं कि 2024 के आम चुनाव में कौन नेता पार्टी का नेतृत्व करेगा? प्रधानमंत्री मोदी ही या कोई और। दिग्गज भाजपा नेता अमित शाह और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयानों के बाद यह चर्चा और तेज़ हो गयी है।


“मुझे विश्वास है कि मोदी के नेतृत्व में भाजपा 2024 के आम चुनाव में दो-तिहाई बहुमत के साथ जीतेगी। इसे कोई नहीं रोक सकता।’’
अमित शाह
वरिष्ठ भाजपा नेता


“कोई एक नेता इस देश के समक्ष मौज़ूद सभी चुनौतियों का सामना नहीं कर सकता है। चाहे वह कितना भी बड़ा नेता हो। कोई एक संगठन या पार्टी देश में बदलाव नहीं ला सकती।’’
मोहन भागवत
आरएसएस प्रमुख